Mar 1, · Essay On Child Labour In Hindi बाल श्रम निबंध हिंदी में भारत में बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा का स्तर निम्न है जिनका कारण बाल श्रम Jan 5, · Essay on Child Labour in Hindi – (बाल मजदूरी निबंध) Article About Child Labour in Hindi – (Paragraph on Child Labour In Hindi) बाल श्रम के कारण (Causes of 1 Child Labour Essay In Hindi (बाल मजदूरी पर निबंध) | Bal Majduri In Hindi बाल मजदूरी का कारण? (Reason of Child Labour) भारत में बाल मजदूरी (Child
बाल श्रम निबंध हिंदी में Essay On Child Labour In Hindi
Child Labour Essay In Hindi : दोस्तों आज हम बाल मजदूरी पर निबंध Essay on Child Labour in Hindi लिखने वाले है। बढ़ती बाल मजदूरी Child Labour in Hindi की वजह से कहीं न कहीं यह विषय महत्वपूर्ण श्रेणी में रखा गया है। हमें भी बढ़ रही इस बाल मजदूरी Bal Majduri की समस्या से जरूर अवगत होना चाहिए। विभिन्न कक्षाओं की परीक्षाओं में बाल मजदूरी हिंदी निबंध Bal Majduri in Hindi का प्रशन पूछ लिया जाता है, hindi essay on child labour, इसलिए परीक्षा और सामाजिक ज्ञान दोनों के नज़रिये से हम सब का बाल श्रम के बारे में जानना और अधिक जरुरी हो जाता है।. इसलिए आज इसी महत्वपूर्णता को देखते हुए हम बाल मजदूरी निबंध लेकर आये है। उम्मीद करते है अन्य हिंदी निबंध की तरह आपको ये निबंध भी पसंद आएगा। चलिए आज का बाल श्रम पर निबंध bal shram par nibandh को शुरू करते hindi essay on child labour. बाल मजदूरी एक अभिशाप बाल श्रम पर निबंध Child Labour In India in Hindi — भारत के समक्ष बाल श्रम की समस्या लगातार एक चुनौती के रूप में रही है। सरकार इस समस्या से निपटने के लिए विभिन्न उपाय भी करती रही है। बाल श्रम Child Labour की समस्या एक सामाजिक और आर्थिक समस्या है, जो सीधे-सीधे निर्धनता और निरक्षरता के साथ जुडी हुई है। इस समस्या से निपटने के लिए समाज के सभी वर्गों द्वारा अथक प्रयास किए जाने की आवश्यता है।, hindi essay on child labour.
भारत के सविधान के अंतर्गत बच्चों के लिए अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के साथ-साथ उन्हें आर्थिक गतिविधियों एवं उनकी आयु के प्रतिकूल व्यवसायों में उलझने से बचाने हेतु श्रम सरंक्षण का प्रबंध करने हेतु संगत उपबंधों का समावेश किया गया है। हाल ही में किये गए सवैंधानिक संशोधन के पश्चात 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अब एक मुलभुत hindi essay on child labour बन गया है।. संवैधानिक उपबंधों के अनुकूल देश ने बाल श्रम Child Labour उन्मूलन के लिए आवश्यक संवैधानिक प्रावधान भी बनाएं तथा विकासात्मक उपायों को कार्यान्वित किया गया है। फिर भी सरकार के प्रयासों के बावजूद भी निर्धनता एवं निरक्षरता के कारण बाल श्रम की समस्या अभी भी बरकरार है।. वर्ष में भारत में महापंजीयक द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, हमारे देश में में 1.
प्रतिवर्ष बढ़ रही जनसंख्या को ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार न मिलने के कारण ग्रामीण श्रमिक अपने बच्चों के साथ शहरों में आकर होटल, सेवा केंद्रों इत्यादि में रोजगार प्राप्त कर लेते हैं। यह बच्चे प्रायः शहरी अनौपचारिक इकाइयों से जुड़े रहते हैं, जबकि इनके मात पिता गांव को वापस लौट जाते हैं। निर्धन परिवार ऋणदेयता, विशेषकर ग्रामीण ऋणदेयता, के कारण भी अपने बच्चों को घरेलू नौकरों, कृषि मजदूरों एवं दैनिक दिहाड़ी कर्मचारियों के रूप में कार्य करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।. विजय ए कुमार एवं के प्रसन्ना भारत में बाल श्रम Bal Shram नामक अपने hindi essay on child labour में यह विश्लेषित करते हैं कि क्योंकि गरीबों परिवारों हेतु सामाजिक सुरक्षा का कोई भत्ता उपलब्ध नहीं है इसलिए मात-पिता मजबूर हो जाते हैं कि वे अपने बच्चों को श्रम बाजार में धकेल दें। श्रम बाजार में बच्चों की उपस्थिति वयस्कों के रोजगार स्तर को कम कर देती हैं, hindi essay on child labour, जिसके परिणामस्वरुप वयस्क मज़दूरों की दिहाड़ी दरों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।.
इसके परिणामतः उभरी गरीबी माता-पिता को प्रेरित करती है कि वह बच्चों को परिवार के अस्तित्व हेतु काम करने के लिए बाध्य करें। इस दूषित चक्र को और मजबूती उस समय मिल जाती हैं जब गरीब लोग पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं क्षमता आदि का अधिगम नहीं कर पाते हैं। उत्पत्ति, जाति एवं धर्म जैसे सामाजिक आर्थिक मामलों की उपस्थिति भी तनाव एवं परेशानियों को बढ़ाती है।. भारत में भिखारी बच्चों तथा घरों के हिंसापूर्ण वातावरण एवं जटिल आर्थिक स्थितियों के कारण घर से भाग गए बच्चों की संख्या भी काफी अधिक है। इन बच्चों के सामने खाने एवं वस्त्र हेतु काम के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होता। अभी भी बालश्रम Bal Sharm अस्तित्व में होने का एक अन्य प्रमुख कारण अनिवार्य शिक्षा हेतु किसी उपबंध की कमी होना है, जिसके परिणाम स्वरुप अनेक उद्योगों के औपचारिक एवं अनौपचारिक क्षेत्रों में बच्चों को आसानी से एवं त्वरित बेरोजगार प्राप्त हो जाता है क्योंकि बाल श्रमिकों को रोजगार देना एक लाभ का सौदा होता है। बच्चे श्रम के सस्ते साधन है जो बिना किसी विरोध के व्यस्क के समान कार्य को कम लागत में करते हैं। इससे नियोक्ता के hindi essay on child labour में वृद्धि होती है।.
अतः मात-पिता की अपने बच्चों को कार्य के लिए भेजने की चाह तथा नियोक्ता द्वारा उन्हें रोजगार प्रदान करना बाल श्रम के निरंतर चलते रहने को सुनिश्चित करता है। कठिन परिस्थितियों में काम के दौरान बाल मजदूरों को अहेलित एवं प्रताड़ित किया जाता है। देश के अनेक भागों में किए गए अध्ययन समान रूप से यही दर्शाते हैं कि बाल श्रमिकों को लंबी अवधियों के लिए काम करना पड़ता है तथा प्रायः उन्हें भुगतान कम किया जाता है।. अध्ययन यह भी दर्शाते हैं कि बच्चे कई जगहों पर अमानवीय स्थितियों में भी काम करते हैं, जहां उनके जीवन को निम्नतम सुरक्षा भी प्राप्त नहीं होती है। ईंट की भट्टियों में वह भारी बोझ उठाते हैं परिणामताः उन्हें चोट, कमजोरी एवं विकृति आदि को सहना पड़ता है। कॉलिन बुनने वाले बच्चे ऐसी परिस्थितियों में काम करते हैं जो उनकी दृष्टि को नष्ट तथा अंग एवं पिछले भाग को विकृत कर सकते हैं।.
ऐसी hindi essay on child labour स्थिति आग भट्टी उद्योगों एवं में कार्यरत बच्चों की है। मशीन की दुकानों एवं यांत्रिक कार्यों में अनेक ऐसे कार्य हैं जैसे प्रशिक्षण का अभाव; औजारों के रख-रखाव का अभाव; चश्मों, दस्तानों एवं अन्य hindi essay on child labour उपकरणों की कमी; खराब रोशनी व्यवस्था एवं अपर्याप्त वायु-संचालन परिणामस्वरूप दुर्घटना एवं बीमारियां होती है।. कार्य के दौरान या अन्य कार्य संबंधी कठिनाई से ग्रस्त बच्चे को प्रायः उपचार या रियायत नहीं दी जाती है।. बच्चों द्वारा श्रमिक गतिविधियों में भाग लेने के कारण उनमें शैक्षिक विकास की क्षमता की कमी हो जाती है। संपन्न परिवारों के बच्चों की तुलना में गरीब परिवारों के बच्चे को शिक्षा के अधिगम प्राप्त नहीं होते। कई बार शिक्षा हेतु उपलब्ध आधारिक संस्था के बावजूद बच्चे इन सुविधाओं का प्रयोग नहीं करते हैं क्योंकि विद्यालय प्रवेश के संबंध में कुछ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कीमतें होती है। स्कूली पढ़ाई की कमी कुशल कार्यों एवं अन्य ऐसी संभावनाएं हेतु उनकी पात्रता को अस्वीकृत करा देती हैं। अतः शिक्षा वह यंत्र है जो यह सुनिश्चित करता है कि अधिक से अधिक बच्चे स्कूल जाएं तथा समाज की धरोहर hindi essay on child labour. बाल-श्रम विकट रूप से बंधुआ श्रम से जुड़ा हुआ है। आंध्र प्रदेश में बंधुआ मजदूरों में 21 प्रतिशत 16 वर्ष से कम आयु hindi essay on child labour बच्चे हैं। कर्नाटक में बच्चे हानिकारक प्रदूषित कारखानों में काम करते हैं जिनकी दीवारों पर कालिख जमी रहती है और हवा में विषादजनक बू होती है। वह ऐसी बेटियों के पास काम करते हैं, जो डिग्री सेल्सियस के तापमान पर जलती हैं। वे आर्सनिक और पोटैशियम जैसे खतरनाक रसायनों को काम में लेते हैं। वे कांच-धमन की इकाइयों में काम करते हैं, जहां इस समय काम से उनकें उनके फेफड़ों पर जोर पड़ता है, जिससे तपेदिक जैसी बीमारियां होती है।.
कार्यरत बच्चों में कई अपने परिवार के प्रमुख अथवा प्रधान वेतनभोगी होते हैं जो अपने आश्रितों के भरण-पोषण के लिए सदैव चिन्तित रहते हैं। प्रवासी बाल श्रमिक, जिनके माता-पिता दूर किसी शहर अथवा गांव में रहते हैं, साधारणतया निराश रहते हैं। जब कारखाने पूरी तरह चालू रहते हैं तो उन्हें रूपये प्रति माह तक मिल जाते हैं और कमाई हुई संपूर्ण राशि वें अपने अभिभावकों को देते हैं और वे अभिभावक उन्हें रात की पारी के लिए एक रुपया भी चाय के लिए नहीं देते। ऐसा भी कई बार होता है कि जब उनके बदन में दर्द होता है, दिमाग परेशान होता hindi essay on child labour, उनके दिल रोते हैं और आत्मा दुखी होती हैं, उस समय भी मालिकों के आदेश पर उन्हें 15 घंटे लगातार काम करना पड़ता है।.
दिल्ली, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के कारखानों में जाने पर यह पता चलता है कि बड़ी संख्या में बाल श्रमिकों की छातियां बैठी हुई है और हड्डियां के जाल पतले हैं, जिसके कारण वे दुर्लभ दिखाई पड़ते हैं।. बाल श्रमिकों की एक बड़ी संख्या छोटे कमरों में अमानुषिक स्थितियों और अस्वास्थ्यकर वातावरण में रहती हैं। इनमें से अधिकांश बच्चे बहुत ही निर्धन परिवारों के होते हैं। या तो वे स्कूल छोड़े हुए होते हैं या कभी भी hindi essay on child labour गए हुए नहीं होते। उन्हें बहुत कम मजदूरी मिलती है और वे अत्यंत खतरनाक स्थितियों में काम करते हैं। जोखिम परिस्थितियां उन्हें नुकसान पहुंचाती हैं। बच्चों को फेफड़ों की बीमारियां, तपेदिक, आंख की बीमारियां, अस्थमा और कमर के दर्द होते हैं। कुछ आग दुर्घटना में घायल हो जाते हैं। कई 20 वर्ष की आयु में ही नौकरी करने योग्य नहीं रहते। यदि वे घायल अथवा अपंग हो जाते हैं तो मालिकों द्वारा उन्हें निर्दयतापूर्वक निकाल दिया जाता है।, hindi essay on child labour.
बाल श्रम की समस्याओं का सामना करने के लिए अनेक संविधान एवं विधिक उपबंधों का निर्माण किया गया है। hindi essay on child labour सरकार ने अपनी सवैधानिक बाध्यताओं के अतिरिक्त बाल श्रम से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आईएलओ की छः प्रसंविधाओं पर भी हस्ताक्षर किए हैं। भारत सरकार द्वारा बाल श्रम Bal Majduri के बहिष्करण हेतु अनेक कार्यक्रमों के लिए आईएलओ से सहायता प्राप्त की जाती है।. बाल मजदूरी रोकने के उपाय — Solution of Child Labour in Hindi. संविधान का अनुच्छेद यह व्यवस्था उपलब्ध कराता है कि राज्य अपने अस्तित्व में आने से दस वर्षों में 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रयास करेगा।, hindi essay on child labour.
भारत में कारखानों में कार्यरत बच्चों के रोजगार हेतु पहला विनियामक कानून में बनाया गया था। में अधिनियम के रोजगार की निम्नतम आयु को 9 वर्ष कर दिया गया तथा बाल श्रमिक द्वारा कार्य करने की अवधि को 7 घंटे कर hindi essay on child labour गया।. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकार ने फैक्ट्री अधिनियम, द्वारा कारखानों, खानों एवं अन्य कठिन कार्यों में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को रोजगार देने पर प्रतिबंध लगा दिया।. अधिनियम की अनुसूची में अन्य अवसरों एवं प्रक्रियाओं के जोड़ने के प्रयोजन में केंद्र सरकार को सलाह देने हेतु बाल श्रम तकनीकी सलाहकार समिति जो कि विशेषज्ञों का निकाया है का गठन hindi essay on child labour के लिए यह अधिनियम प्रबंध करता है। समिति में अध्यक्ष तथा अधिकतम 10 सदस्यों को केंद्र सरकार नियुक्त करती है। तकनीकी सलाहकार समिति की सिफारिश पर पिछले 5 वर्षों के दौरान अधिनियम की अनुसूची में अंकित hindi essay on child labour व्यवसाय की संख्या 7 से बढ़कर 13 हो गई है तथा परिक्रियों की संख्या 18 से बढ़कर 57 हो गई है।.
बाल श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन अधिनियम, को कार्यान्वित करने का अधिकार राज्य सरकार को दिया गया है। राज्य में श्रम विभाग Labour Department को अपने निरीक्षणालय तंत्र के जरिए प्रवर्तन करने का अधिकार प्राप्त है।. परियोजना-आधारित कार्य योजनाओं के अंतर्गत सातवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 12 राष्ट्रीय बाल श्रम चाइल्ड लेबर परियोजनाएं आरंभ की गई। इन 12 राष्ट्रीय बाल परियोजनाओं को इन क्षेत्रों में लागू किया गया है -आंध्र प्रदेश जगमपेट एवं मरकपुरबिहार गढ़वामध्य प्रदेश मंदसौरमहाराष्ट्र ठाणेउड़ीसा संबलपुरhindi essay on child labour, राजस्थान जयपुरतमिलनाडु शिवकाशी एवं उत्तर प्रदेश वाराणसी-मिर्जापुर-भदोई, मुरादाबाद, अलीगढ़ एवं फिरोजाबाद ।. विद्यालयों की स्थापना नीतियों का एक मुख्य घटक है। यह विद्यालय रोजगार से हटाए गए बच्चों को गैर औपचारिक शिक्षा, व्यवसायिक प्रशिक्षण, अनुपूरक पोषण, वृतिका, स्वास्थ्य सुरक्षा इत्यादि उपलब्ध कराता है। विशेष विद्यालयों की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि यह काम करने वाले बच्चे अनेक सामाजिक आर्थिक संदर्भों से आते हैं, जिनमें भिन्न क्षमताएं एवं अनुभव होते हैं, जिन्हें सामान्य विद्यालय इनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप अनुरक्षित नहीं कर सकते हैं। विशेष विद्यालय इन कार्यरत बच्चों को सामान्य विद्यालय में प्रवेश दिलाने में उपयोगी है।.
प्रधानमंत्री द्वारा अगस्त में एक योजना की घोषणा की गई थी, जिसके अनुसार सभी कठिन रोजगार क्षेत्रों में कार्यरत बच्चों को वर्ष तक बाल श्रम चाइल्ड लेबर से बाहर निकालना था। इस कार्यक्रम एवं सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के परिणाम स्वरूप 12 सतत परियोजनाओं के अतिरिक्त 64 क्षेत्र-आधारित परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई थी। नौवीं पंचवर्षीय योजना की समाप्ति तक राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना को 13 राज्यों में जिलों में विस्तारित किया गया था।. दसवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान विद्धमान बाल श्रम परियोजना को निरंतर चलाने के लिए hindi essay on child labour ने अनुमोदन दे दिया है। सरकार ने अतिरिक्त बाल श्रम परियोजनाओं की स्थापना के लिए भी स्वीकृति दे दी है। इसलिए दसवीं पंचवर्षीय योजना में स्कीम को 20 राज्यों कें जिलों में लागू किया जाएगा। सभी अतिरिक्त जिलों को निर्धारित कर दिया hindi essay on child labour है और नये निर्धारित जिलों में योजना का कार्यन्वयन करने के प्रयास पहले से ही किए जा रहे हैं। दसवीं पंचवर्षीय योजना के लिए वह पिछली योजना अवधि की तुलना में करोड़ रुपये करोड़ रूपये तक बढ़ाया गया है इंडस परियोजना में श्रम और रोजगार मंत्रालय के अंशदान सहित।.
बाल श्रम पर निबंध Bal Majduri Par Nibandh — 2 भारत में जनसंख्या का एक बड़ा वर्ग अशिक्षित है, जिसके दृष्टिकोण में शिक्षा ग्रहण करने से अधिक आवश्यक है धन कमाना, जिससे बाल श्रम को बढ़ावा मिलता है। बड़ा और संयुक्त परिवार होने से परिवार के कम ही लोगों को रोजगार मिल पाता है, फलस्वरूप बच्चों को काम करने के लिए विवश होना पड़ता है। इसके अतिरिक्त समाज के स्वार्थी तत्वों और गलत तरीकों से आर्थिक हितों की पूर्ति करने वाले व्यावसायिक संगठनों के द्वारा जान-बूझकर प्रतिकूल स्थिति पैदा कर दी जाती है, ताकि उन्हें सस्ती मजदूरी पर बिना विरोध के काम करने वाले बाल श्रमिक आसानी से मिल जाए।. भारत के संविधान में बालश्रम को रोकने या हतोत्साहित करने के लिए विभिन्न व्यवस्थाएँ की गई है जैसे 14 वर्ष से कम आयु के किसी बालक को किसी कारखाने में काम करने के लिए या किसी जोखिम वाले रोजगार में नियुक्त नहीं किया जाएगा धाराबाल्यावस्था और किशोरावस्था को शोषण तथा नैतिक एवं भौतिक परित्यक्ता से बचाया जायेगा धारा Afसंविधान के प्रारंभ होने से 10 वर्षो की अवधि में सभी बालकों की, जब तक वे 14 वर्ष की आयु पूर्ण नहीं कर लेते हैं, राज्य निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करने का प्रत्यन करेगा धारा AF आदि।.
वर्ष में सरकार द्वारा विभिन्न सरकारी विभागों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी श्रमिकों के कार्य करने की न्यूनतम आयु 14 वर्ष निर्धारित की गई भारत सरकार ने वर्ष में बालश्रम समस्याओं से संबंधित अध्ययन हेतु गुरुपाद स्वामी समिति का गठन किया, जिसके सुझाव पर बालश्रम अधिनियम लागू किया गया यह पहला विस्तृत कानून है, hindi essay on child labour, जो 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को व्यवस्थित उद्योगों एवं अन्य कठिन औद्योगिक व्यवसायों:- जैसे बीड़ी, कालीन, माचिस, आतिशबाजी आदि के निर्माण में रोजगार देने पर प्रतिबंध लगाता है।, hindi essay on child labour. वर्ष में राष्ट्रीय बालश्रम नीति तैयार की गई, जिसके अंतर्गत जोखिम भरे व्यवसायों में कार्यरत बच्चों के पुनर्वास पर जोर दिया गया वर्ष में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए उस फैसले ने बालश्रम के विरुद्ध कार्रवाई में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, hindi essay on child labour, जिसमें संघीय एवं राज्य सरकारों को जोखिम भरे व्यवसायों में काम करने वाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हटाने एवं शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 28 अगस्त को बालश्रम अधिनियम, में संशोधन को मंजूरी दी गई।.
वास्तव में, हम यह सोचते हैं कि इस तरह की समाज की कुरीतियों को समाप्त करने का दायित्व सिर्फ सरकार का है सब कुछ कानूनों के पालन एवं कानून भंग करने वालों को सजा देने से सुधारा जाएगा, लेकिन यह असंभव है हमारे घरों में, ढाबों में, hindi essay on child labour, होटलों में अनेक श्रमिक मिल जाएंगे जो, कड़ाके की ठंड या तपती धूप की परवाह किए बगैर काम करते हैं सभ्य होते समाज में या अभिशाप आज भी क्यों बरकरार है? क्यों तथाकथित सभ्य एवं सुशिक्षित परिवारों में नौकरों के रूप में छोटे बच्चों को पसंद किया जाता है हमें इन सब प्रश्नों के उत्तर स्वयं से पूछने होंगे. अपने देश के लिये सबसे जरुरी संपत्ति के रुप में बच्चों को संरक्षित किया जाता है जबकि इनके माता-पिता की गलत समझ और गरीबी की वजह से बच्चे देश की शक्ति बनने के बजाए देश की कमजोरी का कारण बन रहे है। बच्चों के hindi essay on child labour के लिये कल्याकारी समाज और सरकार hindi essay on child labour ओर से बहुत सारे जागरुकता अभियान चलाने के बावजूद गरीबी रेखा से नीचे के ज्यादातर बच्चे रोज बाल मजदूरी करने के लिये मजबूर होते है।, hindi essay on child labour.
किसी भी राष्ट्र के लिये बच्चे नए फूल की शक्तिशाली खुशबू की तरह होते है जबकि कुछ लोग थोड़े से पैसों के लिये गैर-कानूनी तरीके से इन बच्चों को बाल मजदूरी के कुँएं में धकेल देते है साथ ही देश का भी भविष्य बिगाड़ hindi essay on child labour है। ये लोग बच्चों और निर्दोष लोगों की नैतिकता से खिलवाड़ करते है। बाल मजदूरी से बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी देश के हर नागरिक की है। ये एक सामाजिक समस्या है जो लंबे समय से चल रहा है और इसे जड़ से उखाड़ने की जरुरत है।. देश की आजादी के बाद, इसको जड़ से उखाड़ने के लिये कई सारे नियम-कानून बनाए गये लेकिन कोई भी प्रभावी साबित नहीं हुआ। इससे सीधे तौर पर बच्चों के मासूमियत का मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक तरीके से विनाश हो रहा है। बच्चे प्रकृति की बनायी एक प्यारी कलाकृति है लेकिन ये बिल्कुल भी सही नहीं है कि कुछ बुरी परिस्थितियों की वजह से बिना सही उम्र में पहुँचे उन्हें इतना कठिन श्रम करना पड़े।.
बाल मजदूरी एक वैशविक समस्या है जो विकासशील देशों में बेहद आम है। माता-पिता या गरीबी रेखा से नीचे के लोग अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर पाते है और जीवन-यापन के लिये भी जरुरी पैसा भी नहीं कमा पाते है। इसी वजह से वो अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाए कठिन श्रम में शामिल कर लेते है। वो मानते है कि बच्चों को स्कूल भेजना समय की बरबादी है और कम उम्र में पैसा कमाना परिवार के लिये अच्छा होता है।. बाल मजदूरी के बुरे प्रभावों से गरीब के साथ-साथ अमीर लोगों को भी तुरंत अवगत कराने की जरुरत है। उन्हें हर तरह की संसाधनों की उपलब्ता करानी चाहिये जिसकी उन्हें कमी है। अमीरों को गरीबों की मदद करनी चाहिए जिससे उनके बच्चे सभी जरुरी चीजें अपने बचपन में पा सके। इसको जड़ से मिटाने के लिये सरकार को कड़े नियम-कानून बनाने चाहिए।. दोस्तों आज का बाल मजदूरी निबंध Child Labour essay in Hindi कैसा लगा?
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बाल मजदूरी पर निबंध/अनुच्छेद -- Essay on Child Labour in Hindi
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